दलाल गुल्लू पत्रकार की कलम से देश हित मैं सच्ची मुच्ची -1

दौरे सियासत का जुल्म देखिए महसूस कीजिए,साबित कीजिए जुल्म सह कर की आप वतन परस्त हो

विकास की गंगा बहाते चलो मोदी जी के गुण गाते चलो

ज़रूरी क्या हैं और क्या नहीं?

अब सरकार तय करती है,आप क्या चाहते हैं ये ज़रूरी नहीं कि उस के पीछे सरकार अपना समय बर्बाद करे आख़िर विकास जब हो रहा होता हैं ।

तब कुछ बाते और वायदे भूल जाना ही बेहतर हैं।

भले ही पुल एक के बाद एक ढह जाये तो क्या हुआ नया भी बनेगा और फिर सबका साथ होगा तो विकास भी होगा,

नये ठेकेदार,नये बाबू सब मिल कर नया बनायेंगे मज़दूरों को काम मिलेगा,उनके पास पैसा आएगा , फिर विकास ही विकास

मज़दूरी मिलेगी उस पर सरकार जी एस टी लेगी,और फिर अंबानी का जिओ वाला रिचार्ज भी तो कराना हैं ,पेट्रोल डीज़ल पर भी टैक्स देना हैं,आख़िर सुविधाएँ ख़रीदी जायेंगी तो सरकार कुछ पैसा तो लेगी ?

यही तो विकास की मोदी परिभाषा हैं और फिर पाँच किलो राशन भी देना हैं,फ्री सिलेंडर और बहनों को महीने के पैसे उसके ऊपर देश को विश्व गुरु बनाने के लिए पी एम की विदेश यात्राओं के खर्चे,मीडिया मैं सरकारी विज्ञापनों के खर्चे ?

तेल तिलों से ही निकाला जायेगा और देश का विकास ज़बरदस्त पुल तोड़ तोड़ किया जाएगा ,सबका साथ सबका विकास होगा।

बिहार के पुल हो या कही के विशेष राज्य की माँगे भी पूरी करनी हैं राजनैतिक दलों को भी कुछ मलाई बाँटी जानी चाइए,नियम कहते हैं ।

आज की राजनीति का मूल भूत सिद्धांत भी हैं,कद्दू कटेगा तो सब मैं बंटेगा।

लेकिन कद्दू काटा भी गया बाँटा भी गया और जनता से टैक्स भरपूर काटा गया ।

और फिर

जीएसटी सरकार के पास कितना जमा हुआ हैं बता दिया तो अमेरिका, रुस और चीन को तो झटका आ जाएगा,फिर उसमे से कुछ ख़ज़ाना ज़रूरत मंद बाबू इंजीनियरों ,विधायकों और मंत्रियों मैं बट भी जाएगा तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा ?

चुनाव और नियुक्तियों ट्रास्फ़र मैं कित्ता पैसा लगता हैं ये जनता को क्या मालूम?

छात्रों के पेपर लीक,इमारतों की छत लीक रेल हो या हवाई अड्डे,

लीक ही लीक,सब चलता हैं तो चलने मैं बुराई नहीं,मोदी तो अपने हैं पराये नहीं,वो अपने ड्रोन से सब पर निगाह रखते हैं।

मन भी क्या करे गाँठ बाँध ले किसी बात को तो बांध लेता हैं,बांध लेने मैं बुराई क्या अपना मन कुछ भी करे मन की बात करे या मन से अपनी विचारशीलता का विलक्षण दर्शन जनता को सुनाये ये तो मन ही तय करेगा।

विकास से याद आया

लोगो का काम हैं की कमी निकालना,निराशावाद और ऋणात्मकता फैलाना बस ये कार्य विपक्ष का रह गया हैं।

वो तो भला हो राष्ट्रीय चेनलो का जो देश हित मैं तीनों पहर लगे रहते हैं अपनी देश भक्ति के साथ ऋणात्मकता का मुक़ाबला करते रहते हैं।

धर्म के प्रति जागरूक करना भी तो देश प्रेम की पहली सीढ़ी हैं।

भूख से सामना करना पेपर लीक हो जाने पर हिम्मत न हारना,यही सबसे बड़ा स्वनिर्मित आत्म विश्वास भी?

भला किसी सरकार ने ऐसा पहले किया?

अब वो हो रहा हैं जो कभी न हुआ?

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